हालांकि, मैं यह मानता हूं कि हमें अधिक संख्या में नहीं बल्कि वन्य टाइगरों की संख्या को बढ़ावा देने की जरूरत है और साथ ही साथ मानव-जानवर संघर्ष के मामले में उचित उपायों को अपनाना चाहिए।”
मिस्टर नंदा ने पोस्ट के कैप्शन में लिखा। सोमवार को इस वीडियो को साझा किया गया था और तब से इसकी सोशल मीडिया पर वायरलता बढ़ती जा रही है। वीडियो को अब तक 1,37,000 से अधिक बार देखा गया है और 2,200 से अधिक लाइक मिले हैं। इससे संबंधित इंटरनेट यूजर्स से कई रिस्पांस भी आए हैं।
एक यूजर ने लिखा, “टाइगर के जनसंख्या को देखकर दिल खुश होता है, लेकिन उसी समय उचित उपायों के लागू होने की आवश्यकता होती है ताकि मानव-जानवर संघर्ष से बचा जा सके और लोगों में जंगली जीवों (फ्लोरा, फौना) के बारे में जागरूकता हो सके, विशेष रूप से एपेक्स प्रेडेटर्स के महत्व और उनके पारिस्थितिकीय भूमिका के बारे में।”
एक दसर ने लिखा, “समय पर बचा लिया गया। लेकिन कुछ लोग भूखे ही रह गए थे,” जबकि एक चौथा यूजर ने जोड़ा, “घटनाएं फिल्म के स्क्रिप्ट की तरह हुईं। रोचक! जीवन्त जगत की ओवरलैपिंग से संबंधित एक चिंता भी है।”
घटना का स्थान नहीं ज्ञात है।
संबंधित शब्दों का उपयोग करते हुए सबहडिंग शामिल करते हुए लेख का शीर्षक होना चाहिए “जंगली जानवरों के मानवीय आवासों में घुसने के घटनाओं पर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ टाइगर का वीडियो”. वन्य जीवन और मानव-जानवर संघर्ष दो विभिन्न चीजें होती हैं। अब आइए इस वीडियो के माध्यम से जानते हैं कि टाइगर के संख्या बढ़ने के साथ ही यह मानव-जानवर संघर्ष कैसे और कहां से उत्पन्न होता है।
टाइगर खुले मैदान में दौड़ता हुआ एक समूह गायों का पीछा करते हुए दिखाई देता है। जंगली बिल्ली एक खुले मैदान में घूमती हुई दिखती है और अंततः एक बछड़े को
पकड़ता है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और लोगों की ध्यान खींच रहा है। इससे पता चलता है कि जंगली जानवरों के मानवीय आवासों में घुसने का क्या हाल हो सकता है।
भारत दुनिया का एक ऐसा देश है जो वन्य जीवन के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। यहां के वन्य जीवन में से एक टाइगर है जो पूरी दुनिया में खास है। भारत में टाइगर की संख्या 3200 के आसपास है जो दुनिया के 75% वन्य टाइगरों का अंश है।
हालांकि, टाइगर की जनसंख्या के बढ़ने के साथ ही इसके मानव-जानवर संघर्ष के मामले में भी बढ़ोतरी होती जा रही है। टाइगर अपने आबादी के लिए आदर्श आवास और खाने की जगह खोजते हुए मानवीय आवासों के करीब जाते हैं। इससे मानव-जानवर संघर्ष होता है जो कई बार खतरनाक होता है।
टाइगर के संख्या बढ़ने के साथ ही हमें उचित उपाय अपनाने की जरूरत है ताकि इस मानव-जानवर संघर्ष से बचा जा सके। यह हमारी जवन्य जीवन और प्रकृति के संरक्षण के लिए जिम्मेदारी है। हमें टाइगर को एक पेस्ट की तरह नहीं देखना चाहिए। टाइगर जैसे एपेक्स प्रेडेटर्स के होने से पूरे वन्य जीवन की संतुलित विकास प्रक्रिया होती है।
इस समस्या का समाधान वनों की बढ़ती उत्पादन क्षमता और मानव आबादी के नियंत्रण में है। आज के समय में जब हम ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और वनों की कटौती से जूझ रहे हैं, हमें वनों की संरक्षण की जरूरत है।
इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करनी होगी। जंगली जीवों के संगठन और उनकी विस्तार गतिविधियों को संबोधित करते हुए हम अपने समुदाय में जागरूकता बढ़ा सकते हैं।
इसलिए, हमें वन्य जीवन की संरक्षण के लिए सक्रिय रहना और संबंधित नियमों का पालन करना चाहिए। हमें संघर्ष से नहीं बल्कि समन्वय से इस समस्या का समाधान करना चाहिए।